विचारधारा - निराकारी जागृति मिशन

निराकारी जागृति मिशन कोर्इ नया मिशन नहीं है। आदिकाल से सामाजिक और आध्यात्मिक चेतना को जागृत करने के लिऐ आत्मदर्शी संत-महापुरूषों ने जो अथक प्रयास किये वही मिशन कहलाये। जो समाज को सुव्यवस्थित, उन्नत व सौहार्दपूर्वक जोड़कर एकसाथ रहना सिखाये वही धर्म कहलाये।

आज के भौतिकवाद एंव पदार्थवाद के चलते दौर, पाश्चात्य संस्कृति के अनुसरण और रातों-रात करोड़पति बनने की ललक, बनावट-सजावट और दिखावट की हौड़-दौड़ में इंसान "सत्यम शिवम सुंदरम " संस्कृति, सभ्यता और संस्कारों को निरंतर भूलता जा रहा है।

यही कारण है कि आज का मानव असलियत से कोसों दूर है और अपना असली परिचय भूल चुका है। आध्यात्मिक ज्ञान ही संसार में सुख-शांति एंव मोक्ष-मुक्ति का मूल आधार है। परमात्मा क्या, कैसा और कहां है, अगर सृष्टि के कण-कण में व्यापक है तो फिर नजर क्यों नहीं आता इस वास्तविकता को उजागर करने तथा जन जन तक पहुचांने के लिए निराकारी जागृति मिशन निरंतर प्रयासरत है।

निराकारी जागृति मिशन का सबसे पहला उददेश्य पारब्रह्म निर्गुण-निराकार परमात्मा का खुली आंखों से दर्शन-दीदार कराना है। संसार के सभी धर्मो के सदग्रंथों और आत्मदर्शी ब्रह्मज्ञानी संत-महापुरूषों का भी यही मानना है कि हम सबका मूलआधार एक है और हम सब एक ही परमपिता की संतान हैं लेकिन परमात्मा को कैसे जाना जाये यह सवाल आज सब के सामने हिमालय की तरह दीवार बनकर खड़ा है।

जिसकी कृपा से इस दृषिटमान जगत का तमाम प्रपंच पैदा होता है, इसी में स्थिर रहता है और अंतत: इसी में विलीन हो जाता है ऐसे विश्व स्वरूप अविनाशी परमतत्व को जानना और पहचानना ही सर्वश्रेष्ठ कर्म और धर्म है। यह सर्वमान्य सत्य है कि जैसे परमात्मा की कोर्इ विशेष जाति-धर्म-वर्ण और मजहब नहीं है और ज्ञान की दृष्टि से हम सब तन, मन, बुद्धि, चित्त और अंहकार से परे एक पावन पवित्र आत्मा है। हम सब का धर्म इंसानियत है।

परमात्मा को पाने के लिऐ इंसान पूजा-पाठ, जप-तप, व्रत-उपवास, वेदों-शास्त्रों, उपनिषदों-पुराणों का पठन-पाठन, तीर्थों पर घूमना-फिरना, अनेकों प्रकार की साधनाएं करता है लेकिन फिर भी निर्गुण-निराकार परमात्मा को पाने में सफल नहीं होता। जिस परमात्मा को 88,000 वर्षों तक कठोर तपस्या करके भी हासिल नहीं किया जा सका, निराकारी जागृति मिशन में आत्मज्ञान की युक्ति के द्वारा इस अंग-संग निर्गुण-निराकार परमात्मा का पलभर में खुली आंखों से दर्शन कराया जाता है।

निराकारी जागृति मिशन का उददेश्य है कि पहले इस मालिकेकुल निर्गुण-निराकार परमात्मा जो अग्नि से जलता नहीं, पानी से गलता नहीं, हवा से उड़ता नहीं, किसी अस्त्र-शस्त्र से कटता नहीं इसको सतगुरू की कृपा से जानो-पहचानो अर्थात पहले खुली आंखों से देखो फिर प्यार करो। पहले ज्ञान फिर ध्यान क्योंकि भक्ति मार्ग में सबसे पहले परमात्मा की पहचान अति जरूरी है। इसीलिेए बाहरमुखी अनाप-शनाप कर्मकाण्ड, निरर्थक रीति-रिवाज, अंधविश्वास, मूढ़ मान्यतायें, सम्प्रदायवाद, अलगाववाद, बहुदेववाद और अर्थहीन बुद्धि के तर्क-वितर्क को छोड़कर "एक को जानो, एक को मानो, एक हो जाओ " इस महान महामंत्र को आत्मसात करके पूर्णरूप से अंत:करण में धारण करके सिर्फ निर्गुण-निराकार एवं सर्वाधार परमात्मा को सृष्टि के कण-कण में व्यापक मानो। इसी ओत-प्रोत निर्गुण-निराकार परमसत्ता का नित्यप्रति ध्यान करते हुऐ यही हो जाना ही मानव जीवन की सर्वश्रेष्ठ उपलब्धि एंव भक्ति मार्ग में सफलता की कुंजी है तथा जीवन जीने की सहज और सरल कला है।

हमसे संपर्क करें @
                                    

   क्विक लिंक

   यूसफुल लिंक
   होम पेज
   विचारधारा
   निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर
   पर्यावरण सेवा
   ब्लॉग
   ऑडियो गैलरी
   वीडियो गैलरी
   फोटो गैलरी
   सिद्धांत
   प्रेस
   संपर्कसूत्र

Nirakari Jagriti Mission

  © 2009.सर्वाधिकार सुरक्षित
      निराकारी जागृति मिशन
  

     आध्यात्मिक गुरु
     सतगुरू स्वामी ज्ञननाथ जी
    सतगुरू बाबा बूटा सिंह जी
    सतगुरू बाबा महताब सिंह जी
    सतगुरू बाबा लक्ष्मण सिंह जी

     सामान्य लिंक
    केंद्र
    फीडबैक
    वेबमास्टर
    English Version


   निराकारी सत्संग धाम वार्ड न० 6 अंबाला नाहन रोड
   निकत वालिया सर्विस स्टेशन नारायणगढ अंबाला, हरियाणा (भारत)                                               © 2009-2013.सर्वाधिकार सुरक्षित, निराकारी जागृति मिशन